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उत्तर-प्रदेश का लोकनाट्य सांगीत (नौटंकी)

CHANDRASAKHI
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भारतीय लोकनाट्यों में वे सभी उपकरण उपलब्ध हैं जो एक शिष्ट नाट्य में होते हैं.इन लोकनाट्यों में भारतीय जन-मानस के स्वस्थ मनोरंजन कि सामग्री निहित होती है.इनसे जनसाधारण का सवस्थ मनोरंजन ही नहीं होता है, वरन मानसिक तुष्टि होती है, और मन में बसी कुंठाओं का विरेचन भी होता है.लोकनाट्यों से समाजो को नैतिक, मानसिक ,सामाजिक,राजनैतिक,और आध्यात्मिक संस्कार भी मिलते हैं,ये सभी बातें उत्तर-भारतीय लोकनाट्य सांगीत (नौटंकी) पर भी लागू होतीं हैं,नौटंकी को देह प्रदर्शन का रूप देकर बदनाम कर दिया गया है, जबकि ऐसा है नहीं,विशुद्ध नौटंकी तो लोकनाट्यों के प्रतिमानो पर एकदम खरी उतरती है, पंडित नत्थाराम शर्मा गौड़ ने इसे प्राण -पण से सजाया और संसार भर में इसकी एक अनोखी पहिचान बनायी.हाथरस शहर के ख़याल और मथुरा कि भगत से निकली यह विधा अपने में अनोखी है इंदरमन चिरंजी के अखाड़े के शिष्य पंडित नत्थाराम शर्मा गौड़ ने सांगीत साहित्य कि पुस्तकें प्रकाशित कीं आज वे अनुसन्धान की अनोखी धरोहर है, नौटंकी की दो शैलियाँ विक्सित हुईं, पंडित जी जब कानपुर में अपना प्रदर्शन करने गए तब वहाँ कि जनता ने उनकी कला कि भूरि-भूरि प्रशंसा कि जिसके फलस्वरूप कानपुर के दर्जीखने के श्री कृष्ण पहलवान भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके, फलस्वरूप उन्होँने अपनी नौटंकी कंपनी स्थापित की.जिसने कनपुरिया नौटंकी की नींव डाली,ठाकुर त्रिमोहन सिंह जो एक बहुत अच्छे नक़क़ारावादक थे उन्होँने अपनी सांगीत कंपनी में प्रथम महिला कलाकार पद्मश्री गुलाब बाई को सम्मिलित किया.गायिकी के हिसाब से बृज नौटंकी बेहतर है यहाँ की गायिकी आलाप प्रधान है जबकि कानपुर की नफासत और नजाकत से भर-पूर है,इसके बाद पीलीभीत की श्रीमती राधारानी, कृष्णा, अन्नो ,श्यामा , चंदा,चुहिया, आदि अनेको महिला कलाकार इस मंच की शोभा बढ़ने हुतु अवतरित हुईं,जबकि हत्थरसी शैली में नए लड़कों से ही स्त्री-पात्रों का काम लिया जाता था.राधा-सुर्खी की जोड़ी ने तो उत्तर भारत में इस क्षेत्र में भूचाल मचा दिया, लोग राधाजी के नाम के दीवाने थे,आज इस विधा को आधुनिकी करण ने भारतीय जनमानस से अलग कर दिया है, परिणामस्वरूप अब इसके दीवाने काम हो गए है हैं, श्री फणीश्वर नाथ रेणु जी ने अपनी रचना मारे गए गुलफाम तीसरी कसम में इसी विधा को उकेरा है,मैं स्वयं इस विधा दीवाना हूँ आईये ” तेरी बाक़ी अदा पर मैं खुद हूँ फ़िदा, तेरी चाहत का जानम बयान क्या करूँ……………….

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