Menu
blogid : 16250 postid : 645958

भारतीय राजनीति में परिवारवाद

CHANDRASAKHI
CHANDRASAKHI
  • 42 Posts
  • 4 Comments

“जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी |” मैं यह सोचने पर मजबूर हूँ कि लोकतंत्र में राजशाही कहाँ से आ गयी है? कहने को तो भारत लोकतान्त्रिक देश है लेकिन यहाँ राजतन्त्र हावी है, तात्पर्य यह है कि परिवार वाद हावी हो गया है| दूसरे शब्दों में जमींदारी प्रथा फिर लौट आयी है| ऐसे बहुत राजनेता हैं जिन्होंने अपने ही समय में अपनी औलादों को राजनीती में प्रवेश देकर आरक्षण कि नीति अपना रखी है| भारत की केंद्रीय राजनीति से लेकर प्रादेशिक स्तर पर भी भाई -भतीजावाद हावी हो गया है| उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश, राजस्थान, और पूरे भारत में जमीदार जाग्रत हो गए हैं|कहने को तो हम धार्मिक भी हैं लेकिन अपना स्वार्थ आते ही हम अधार्मिक और पक्के स्वार्थी हो जाते हैं|उत्तरप्रदेश में तो पूरा परिवार ही हावी है अब देखा-देखी बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान,दिल्ली जैसे प्रदेशों में राजनेताओं ने अपने वारिसों को चुनाव में उतारा है| तो फिर चुनाव जैसी मंहगी व्यवस्था का औचित्य समझ में नहीं आता है| जहाँ हम कहने को तो लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के हामी हैं वहीँ हम अपने पारिवारिक लोगों को ही आगे बढ़ा रहे हैं, हमें बाबा साहेब डॉ. बी.आर. आंबेडकर को भूलना नहीं होगा जिन्होंने ऐसी व्यवस्था दी पर हमने उनके सपनों पर पानी फेर दिया|यदि सामाजिक व्यवस्था को सुदृण रखना है, तो परिवार वाद को तिलांजलि देनी होगी,वरना फिर यही लोकतांत्रिक प्रक्रिया परिवारवाद को उखाड़ कर फैंक देगी| आइये इस हिंदुस्तान को इस बुराई से छुटकारा दिलाएं| जय हिन्द बी.के.चन्द्रसखी ……………..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh