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फागुनी बहार में होरी और भाभी ( कांटेस्ट)

CHANDRASAKHI
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फागुनी बयार, बहार चले हौले-हौले, गुनगुनी धूप मन लागति अति प्यारी है| फूले पलाश, ढाक,टेशू, वन फूल गए, कोयलिया अमराइयों की डारी है| आमं में बौर आयो, बाम दल बौरायो, कामिनी के आग लगी रति-पति की न्यारी है| फागु के फगुआन ने ऐसो झमेलो करो,चूनर पे रंग डारि भिगोई सिगु सारी है| भणै श्री चन्द्रसखी ठाठ-बाट बिगरी गए,चोली मसल मेरे मारी पिचकारी है| गावत फाग पाग-पाग भीनी लाल-लाल,बाजत मृदंग झांझ, गावत धमारी है| आजु रसीले नैन-बैन लागे पञ्च बाण, भांग सिताई में मति गयी मारी है| नन्द जू के द्वार ढोल-नगारे बाजें धाँय, धूम,भौजी देवर संग नाच रही न्यारी है| चन्द्रसखी भणै प्रेम-पाग में सनी-सनी रावरे रतनारे नयन मारें नित कटारी है|| होरी में भौजी रंग बोरी| होरी में……कोरे-कोरे घड़ा मंगाए ,उनमें रंग-रंग भरवाये, भांग भरी मद में छोरी| भरी पिचकारी देवर मारी, भीजि गयी सिगु सारीबिचारी,चूनर उनकी रंग बोरी\|| गाल-गुलाल गोविंद मलत हैं,तिरछी चाल सों देवर चालत हैं, कंचुकी मसल-कसक होरी| …..होरी में, अबीर-गुलाल के रंग हैं न्यारे,प्रेम-पाग सिगु पेज हुरियारे,चन्द्रसखी लागे भोरी|| होरी में ……… होरी है, भाई होरी है…………….यह होरी बृज क्षेत्र के मयनपुरी जनपद में देवर-भाभी की नोक-झोंक के रूप में गाई जाती है……

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