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मेरे पिया भये कोतवाल अब डर काहे को?

CHANDRASAKHI
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आजकल ख़बरें सुनकर कलेजा मुंह को आ जाता है| संयुक्त-प्रांत की हालत-इ-हाजरा बयान करने में भी डर लगने लगता है| क्योंकि न जाने किसका भाई मंत्री-संत्री हो और प्रशासन का डंडा मेरे सर पर पड़ जाये | फीरोजाबाद की हाल की ही घटना यह दिखाती है कि प्रशासनिक तौर पर हम कितने सक्षम हैं? डी. आई.जी तक उस कांड में घायल हो गए और पोलिस पिटती रही पर सबकी आँखे बंद रहीं| कहीं पर हमारे रिश्तेदार दरोगा हैं तो कहीं पर मेरे चाचा के साले का लड़का दरोगा है| उसे हम गुनहगार नहीं मान सकते हैं| अधिकारी पिटें या मरें हम पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता है.| फीरोजाबाद तो मेरी विरासत बन चुका है जिसको मैं जैसे चाहूँ वैसे प्रयोग करूँ| मैं कह सकता हूँ कि वहां बदमानसों और पोलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी. लेकिन अखबार कुछ और ही कह रहे हैं अब तो ईश्वर ही मालिक है इस सूबे का| राजनीति काजनीति पर हावी है| इसीलिए तो अधिकारी बेचारे कुछ नहीं कर पा रहे हैं | ऊपर से दबाव नीचे कि ओर आता है| दबाव पड़ते ही दुर्घटनाओ को मात्र घटनाओं में समेत दिया जाता है.| कुछ लोग इस प्रदेश ओ दुष्कर्म प्रदेश तक कह रहे हैं| पर उन पर कोई असर पड़ता ही नहीं है| लुटो-पिटो- मरो-कटो- काटो चाहे कुछ करो पर यह गद्दी सुरक्षित रहे| मेरे ऊपर तो मेरे बड़ो का हाथ है|

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