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मेरी माँ अक्सर मुझे डाँटती रहती है कि” बिटिया अब तुम बाहर मत जाना क्योंकि अब न जाने कब तुम किसी कि हविश का शिकार बन जाओ? मैं ऐसी दीवानी कि शौच हेतु बाहर ही जाना चाहती हूँ| लेकिन माँ तो माँ ही होती है| उसे मेरा दर्द है. और अब शिक्षा के लिए लेपटोप, टेबलेट, कन्या विद्या धन योजना, सभी तो बंद हो चुकी हैँ| सुकिया की माँ ने उसे डांटते हुए कहा की “अब तेरी पढ़ाई बंद हो गयी है|” सरकार ने सबकुछ बंद कर दिया तो तेरा भी सबकुछ बंद समझो”| मैं काँप गयी कहीं मेरी माँ भी मेरी शिक्षा बंद न कर दे! डबुआ ने रोते हुए घिसुआ से कहा ” यार अब तो बेरोज़गारी भत्ता भी बंद हो गया है, अब कहाँ जाएँ?” मेरे गाँव का हंसराज ठाकुर अपनी मूंछो पर ताव देकर बोला ” मैंने पाहिले ही कहा था कि मेरे अनुसार वोट दो, अब तो तुम्हारा भत्ता भी गया|” मैंने अपना सा मुंह लेकर कहा,” भैय्या कोई बात नहीं शौचालय नहीं बनवाए सरकार ने तो हम महात्मा गांधी के अनुसार अपनी माँ के साथ खेतों में जाकर खाई बनवाकर शौच करकर उसे ढक दिया करेंगे| कम्पोस्ट खाद बनजाएगी और हमारी इज्जत भी बचेगी|” उसने मुंह बिचकाते हुए कहा, ” तू तो बहुत चालाक लड़की है. तू नौजवान राजा को सुझाव भेज दे कि वो तेरे नियमो का पालन करें|” मैंने कहा कि “अगर राजा साहब चाहते हैँ कि नौजवान पीढ़ी नयी तकनीक से परिपूर्ण हों तो उन्हें सभी विद्यालयों में कम्प्यूटर प्रयोगशालाएं खुलवा देनी चाहिए और यह विषय अनिवार्य कर देना चाहिए| बेरोज़गारों को भत्ता न देकर रोज़गार देना चाहिए| कन्याओं को सामान अवसर दो उनके खातों में जीवन सुरक्षा का पैसा डलवाकर सावधि कर दिया जाये तो वयस्क होने पर वह पैसा उसके काम आएगा|, लेकिन मेरी मान कौन रहा है? मैं ठहरी नौटंकी करने वाली और राजा साहब को नौटंकी करवाने का बहुत शौक है,अपने गाँव में वह हर साल नौटंकी करवाते हैँ और वहां हर साल कुर्सियां भी फिकतीं हैँ| वैसे नौटंकी बहुत अच्छा लोकनाट्य है अगर इसका प्रयोग राजा साहब अपनी योजनाओ को जनता तक पहुँचाने में करें तो इसके बहुत अच्छे परिणाम आएंगे| लेकिन मेरे राजा साहब कि शिक्षा विदेश की है इसलिए वे हर चीज को आधुनिक तकनीक से जोड़कर देखते हैँ| अब यह देखना है कि इतना सारा बजट किस-किस कि जेबों में जाता है? मेरे गाँव में तो आज़ादी के ६५ सालों बाद भी बिजली नहीं है चलो यह तो सब ठीक है अब जो अधिक कमीशन देगा उसी के वारे-न्यारे | मैं यह कहतीं हूँ कि कबीर साहब ही ठीक थे” मांस पसारि चील रखवारी ” ठाड़ा सिंघ चरावै गाय””| अब मन ऐसी आवै नइय्या में नदिया डूबी जायरे! चलो अब गाँव चलते हैँ और अपनी झुनिया, सुकिआ, सिलिया, पर्वतीया, धनियां से मिलेंगे और कहेंगे,” मत जइयो गुइयाँ खेत ख्वारी तिहारी है जायेगी”! जय हिन्द बी.के. चन्द्रसखी
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