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आ गयी बहार सेक्युलरिया गठजोड़ की|खसम भये कुतवाल मैं बहुरिया बेजोड़ की|

CHANDRASAKHI
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राम राम के कहे कटि जांयें सब रोग,आजु सम्भारो आय के सेक्युलरिया भोग| सेक्युलरिया भोग जमाये अपना आसन| जय लोहिया के राम बजाएं अपने बासन |कहे चन्द्रसखी खिसियाय मिलाओ अपनी तूती, मतलब के सब यार बजाये अंत में जूती|| हाँ जी हाँ अब सबको अपने अस्तित्व को बचाने की पड़ी है| पर अब सब कौन किसको बचाएगा? मैं यह मानता हूँ की डूबती नाव को बचाने चक्कर में पूरी ही न डूब जाये? आज विरोधी लोग किसी एक आदमी से नहीं डर रहे हैं, वरन उसके कार्य करने की शैली से डर रहे हैं| इसी लिए अब संयुक्त प्रांत में धड़ल्ले से योजनाओं को लागू किया जा रहा है| अरे! भाई लागू नहीं घोषड़ायें की जा रहीं हैं | अब तो सबकी पाँव के नीचे की धरती खिसक रही है जिससे घोषड़ाये आवश्यक हो गयीं है जबसे तीसरे मोर्चे की बात चली तबसे मेरे गाँव की झुनियां भी खुश हो रही है.| वह बेचारी समझ ही नहीं रही है कि लोहिया जी तो स्वर्ग गए, अब उनकी आत्मा दूसरे समाजवादियो में प्रवेश कर गयी है जो किसानो, मजदूरों, दलितों, पिछडो,अतिपिछड़ों कि बात तो करते है पर कभी-कभी मुंगेरी लाल के हसीं सपने भी दिखने से नहीं चूकते हैं| जब भी झुनियाँ नयी साड़ी पहिन कर गाँव से बहार निकलती है तो बेचारी के पीछे हजारों नज़रे लग जतिन हैं.| दद्दा के चेले तो दबंगई दिखाने से नहीं चूकते हैं| तभी मेरा मन रोने लगता है कि आह! घर छोड़ कर यह झुनियाँ क्यों कढ़ी? फिर सोचो कुनवाँ की लाज तो बचानी है इसीलिए एक तो होना ही है| समय की पुकार भी यही है| भानुमति तो कुनवाँ जोड़ेगी कुछ भी हो जाय? बी.के. चन्द्रसखी जय हिन्द

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